ऑफिस की लड़की की पहली चुदाई – Hotel Sex Kahani

तो X होटल सेक्स कहानी शुरू करता हूँ.

यह सच्चा वाकया 2006-07 का है.

मैं जिस ऑफिस में काम करता था वहाँ वैसे तो कई सारी लड़कियाँ थी पर मेरी नज़र खास तौर पर 2 लड़कियों पर रहती थी.

इनमें से पहली का नाम प्रिया था और दूसरी का अपनी अगली कहानी में बताऊंगा.
क्योंकि उसके साथ का भी एक वाकया है.

तो जो प्रिया है, उसका बदन काफी अथलेटिक है और फिगर 34-30-35 के करीब है.

एक रोज़ ऑफिस में काम करते हुए वह मेरे बगल में बैठे हुए फाइनेंस के स्टॉफ से कुछ पूछने आई.
मैं अपना काम छोड़ कर उसे ही देखने लगा.

उसने टाइट जीन्स और शर्ट पहनी हुई थी.
और तभी मेरी नज़र उसकी शर्ट के बीच वाले बटन पर पड़ती है जो खुला हुआ था.
उसके बीच से उसकी सफ़ेद ब्रा साफ दिख रही थी.

मैंने देखा कुछ और लोग भी इस सीन का आनंद ले रहे थे जो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था.
तभी मैंने प्रिया को हल्के से इशारे के साथ बोल दिया.

पर पता नहीं क्यों … वह मुझ पर गुस्सा ज़ाहिर करते हुए वहाँ से चली गयी.

ये बात आयी गयी हो गयी पर हमारे बीच बातें होती रही.

एक रोज़ हमारे ऑफिस का रेनोवेशन चल रहा था और सभी घिच पिच तरीके से एक टेम्पररी जगह पर बैठे हुए थे.

यहाँ पर टॉयलेट ऑफिस के बाहर था.
मैं टॉयलेट के करीब ही फोन पर बात कर रहा था तभी प्रिया ऑफिस के अंदर से टॉयलेट के तरफ जाती हुई दिखी.

तब मैं सोचने लगा कि क्या किसी तरीके से मैं टॉयलेट में झाँक सकता हूँ.
टॉयलेट के दरवाजे पर नीचे की तरफ मैंने एक छेद देखा हुआ था जो टेप से बंद किया हुआ था.

सबसे पहले मैंने ऑफिस का गेट बाहर से बंद कर दिया ताकि कोई अचानक से ना आ जाए.

फिर मैंने हल्के से गेट पर लगी टेप हटा दी और अंदर देखने लगा.

प्रिया अंदर कमोड पर बैठी हुई थी और उसकी चिकनी जांघें दिख रही थी.
फिर वह फ़्लश करके खड़ी हो गयी.

मुझे लगा वह अब बाहर आएगी तो मैं वहाँ से दूर हो गया.

काफी देर हो चुकी थी.
पर प्रिया अभी भी बाहर नहीं आयी थी.

मैंने फिर हिम्मत करके अंदर देखने की कोशिश की.
टेप हटा कर जैसे ही मैंने अंदर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी.

प्रिया की लैगिंग पूरी नीचे थी, उसका कुर्ता उठा हुआ था और उसकी दो उंगलियाँ उसकी खूबसूरत चिकनी गुलाबी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.

प्रिया हल्की सी सिसकरियां ले रही थी और उसकी आंखें बंद थी.

कुछ ही देर में वह झड़ गयी और पूरी पसीना पसीना हो गयी.
मेरी पैंट के अंदर तोप सलामी दे रही थी.

अब प्रिया ने कपड़े ठीक किये और बाहर निकलने को हुई.
तो मैं वहाँ से निकल गया.

प्रिया निकली और ऑफिस के अंदर चली गयी.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैं टॉयलेट में घुस गया.

मैंने अपने लंड को बाहर निकाला ही था तो मेरी नज़र कमोड पर गयी.
प्रिया ने जल्दी में फ़्लश नहीं किया था और उसका निकला हुआ माल वहीं पड़ा था.

मेरे लंड को और जोश आ गया.
मैंने भी ताबड़तोड़ हाथ हिलाना शुरु कर दिया और 10 मिनट में मैं भी झड़ गया.

नीचे पड़े प्रिया के माल में अपना माल मिला देख मुझे खुशी होने लगी.

इसके बाद मुझे कोई ऐसा मौका नहीं मिला.

एक दिन मुझे ख़बर मिली कि पूरा ऑफिस केरल जा रहा है.
और सब जाने की तैयारी करने लगे.

हम केरल पहुचे और दो दिन की मीटिंग के बाद सब मौज मस्ती के लिए निकल पड़े.

सभी समुन्दर के किनारे खेल रहे थे.
प्रिया भी अपने दोस्तों के साथ वहीं थी और मैं अपने दोस्तों के साथ मजे कर रहा था.

मेरी नज़र बार बार प्रिया की तरफ जा रही थी क्योंकि उसने पतली सी सलवार पहनी हुई थी जिसके भीगने से उसकी काली पैंटी दिखाई दे रही थी.

थोड़ी देर की मस्ती के बाद जब मैंने प्रिया की तरफ देखा तो वह वहाँ नहीं थी.
मैंने उसे भूलते हुए अपनी मस्ती को कायम रखा.

थोड़ी देर बाद मुझे सुसु लगी तो मैं वापस होटल की तरफ अकेला ही जाने लगा.
तो रास्ते में देखा कि प्रिया अपने पैर को पकड़ कर बैठी हुई है.

पूछने पर पता लगा कि वह बाथरूम के लिए होटल की तरफ निकली थी पर रास्ते में उसके पैर में मोच आ गयी तो बैठ गयी.
मैंने उसे बोला- कोई बात नहीं, थोड़ी देर बैठो. फिर चलने की कोशिश करना!

इस पर उसने बोला- बहुत सारी बियर पी ली थी तो अब मुझे बहुत देर से सुसु आ रहा है. अब और नहीं रोक पाऊंगी. क्या तुम मुझे सहारा देकर होटल तक छोड़ दोगे प्लीज़?
मैंने उसे अपने कांधे का सहारा दिया और उसे होटल के बाथरूम तक छोड़ दिया.

पूरे रास्ते उसके चूचे मेरी छाती को छू रहे थे.
उसने अंदर जाने से पहले मुझे रुकने को बोला तो मैं भी सुसु करके उसका इंतज़ार करने लगा.

मैं यही सोचे जा रहा था कि वह वापस आकर क्या कहेगी.

कुछ ही पल में वह बाहर आ गयी और मुझे कहने लगी- क्या तुम मुझे मेरे रूम में छोड़ दोगे?
मैं भी यह मौका कहाँ छोड़ना चाहता था … मैंने हां बोल दिया.

कुछ ही मिनट में हम उसके रूम में पहुँच गये और उसने कपड़े चेंज करने की इच्छा ज़ाहिर की.

उसकी इजाज़त के बाद मैंने उसके बैग से एक लोंग स्कर्ट और टीशर्ट निकाल कर दे दिये और वह बाथरूम में चली गयी.
शायद उसने बाथरूम में जाकर पहले बाथ लिया फिर कपड़े पहन कर बाहर आ गयी.

इस दौरान मैं वहीं खड़ा था क्योंकि उसने जाने के लिए कुछ बोला नहीं था ना मैंने पूछा.

मैंने उससे पूछा- अब दर्द कैसा है?
उसने बोला- दर्द अब भी है. पर तुम जाओ, एन्जॉय करो. मैं अपना ध्यान रख लूंगी.
मैंने मौक़े को भुनाने के लिए बोला- तुम्हें दर्द हो रहा है मैं कैसे जा सकता हूँ.

उसने मेरी तरफ आश्चर्य से देखा.
तो मैं बोला- मैं यहीं थोड़ी देर बैठता हूँ तुम्हें ठीक लगेगा.
मैं बस मौका बना रहा था.

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही बात करते रहे.
फिर मैंने उससे उसके दर्द के बारे में दोबारा पूछा.

उसने कहा- दर्द में कोई कमी लग ही नहीं रही.
मैंने आगे बढ़कर उस से पूछा- अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो थोड़ा आयल मसाज कर दूँ? आराम मिलेगा.

उसने पहले तो मना करा, फिर मेरे बहुत कहने पर वह मान गयी.

उसके पास से आयल लेकर मैंने उसे लेटने को कहा.
मैंने उसकी स्कर्ट को हल्का सा ऊपर किया और उसकी ऐड़ियों पर मसाज करने लगा.

मेरे ऐसा करने से उसे थोड़ा आराम मिला शायद तो वह आंखें बंद करके लेट गयी.

अब मैं धीरे धीरे उसकी स्कर्ट को ऊपर उठा कर मसाज करने लगा.
और ऐसा करते करते कब मैं उसकी चिकनी जांघों तक पहुँच गया, पता ही नहीं चला.

इसी बीच उसकी हल्की सिसकारियां निकलनी शुरु हो गयी और उसने अचानक से आँखें खोल दी.

थोड़ी देर तक मैं उसकी आखों में देखता रहा और वह मेरी!

मैंने अपने हाथ रोक दिये थे.
जिस पर उसने पूछा- क्या हुआ? हाथ क्यों रोक लिए? अच्छा लग रहा था.

इसे मैं उसकी मंजूरी समझ उसकी स्कर्ट को और थोड़ा उठा कर मसाज करने लगा.

अब मेरा हाथ और ऊपर होता हुआ उसकी पैंटी को छूने लगा जिससे उसकी सिसकारियों की आवाज़ और तेज़ होने लगी.

अब वह मदहोश हुए जा रही थी.
और तब मेरा हाथ पकड़ कर उसने अपनी पैंटी में छुपी चूत पर रख दिया.

बस फिर क्या था … मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और हम दोनों की गहरी किसिंग शुरु हो गयी.

इसी बीच मैंने उसकी स्कर्ट के अंदर से ही उसकी पैंटी को उससे अलग कर दिया और दो उंगली उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा.
और ऐसा करते ही वह मुझे गले से लगा कर हर जगह किस करने लगी और मैं उसे!

अब दोनों की उत्तेजना को रोक पाना असंभव था.
मैंने उसकी टीशर्ट उतार दी और साथ ही ब्रा भी!
उसके गुलाबी चूचे देखते ही मैं उन पर टूट पड़ा और उन्हें चूसने लगा.

अब और देर ना करते हुए मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी.
वह मेरे सामने पूरी नंगी थी.

और क्या चूचे थे … एकदम मुलायम गोल गोल!
क्या चूत थी … एकदम साफ गुलाबी दिलकश!
और क्या गांड थी, बिल्कुल उभरी भरी भरी.

जल्द ही उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिये.
वह मेरे लंड का साइज देखकर हैरान हो गयी क्योंकि मेरा लंड बिना तनाव के ही 6 इंच का था.

हमारी किसिंग अभी भी जारी थी.
और ऐसा करते हुए हम कब 69 पोजीशन में आ गये पता ही नहीं चला.

मेरी जीभ और होंठ उसके पूरे शरीर को नापते हुए उसकी चूत तक जा पहुंची.
और फिर क्या था … जैसे ही मैंने उसकी पंखुड़ियाँ खोलकर अपनी जीभ को उसकी चूत में डाला, वह एकदम से सिहर गयी जैसे उसके पूरे शरीर में करेंट दौड़ गया हो.

इसी उत्तेजना में उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरु कर दिया.
दोनों की इस धधकती काम-अग्नि के चलते हम पहली बार में साथ ही झड़ गये.

प्रिया के मुंह से सिसकरियां बंद होने और कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

और जब उस से रहा नहीं गया तो उसने बोला- अब और मत तड़पाओ, मेरे अंदर आ जाओ.

मैंने उसके दोनों पैर हवा में उठाये, कमर के नीचे तकिया रखा.
उसने भी अपनी चूत की पंखुड़ियों को खोल कर मेरे लंड का स्वागत किया.

फिर मैंने लंड को उसकी चूत के ऊपर थोड़ा सा रगड़ा जिससे वह मचल गयी और मेरे लंड में और तनाव आ गया जिससे वह अब 7 इंच का हो गया.

मैंने लंड को प्रिया की चूत पर सेट किया और एक धमाकेदार झटका मारा जिससे मेरा लंड आधा अंदर तो चला गया पर प्रिया के मुँह से बहुत ज़ोर के चीख निकल गयी- आह आह आह!
प्रिया ने बोला- ये मेरा पहली बार है, थोड़ा आराम से करो.

मैं थोड़ा रुका फिर ढेर सारा तेल उसकी चूत पर डाल कर हल्के हल्के धक्के मारने शुरु कर दिये.

प्रिया अब सेक्स आनंद में सराबोर हो रही थी और मेरे हर धक्के से तेल उसकी चूत से निकल कर उसके गांड के छेद तक जाने लगा.

अब मेरे धक्कों की और प्रिया के मुँह से निकलती सिसकारयों की रफ्तार तीन गुना बढ़ चुकी थी.
15 मिनट की चुदाई के बाद प्रिया की चूत से झरना बहने लगा.
पर मैं अभी भी लगा हुआ था.

मैंने प्रिया से पूछा- अगर तुम थक गयी हो तो थोड़ा रुक जाऊं?
जिस पर उसने बोला- सोचना भी नहीं. बहुत अच्छा लग रहा है.

क्योंकि उसका बदन अथलेटिक था इसलिए उसका स्टैमिना अब तक उसका साथ दे रहा था.

इस बार मैंने उसे घोड़ी बनाया, इस पोजीशन में मैंने उसे 10 मिनट चोदा और वह एक बार और झड़ी.
पर मैं ज्यों का त्यों था.

अगली पोजीशन से पहले मैंने अपने लंड की सर्विसिंग उसके मुँह में की.
उसे लंड चुसवा कर मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और चोदने लगा.

5 मिनट बाद मैं लेट गया और वह ऊपर आकर सवारी करने लगी.
वह मदहोशी में गांड घुमा घुमा कर धीरे धीरे चुदवा रही थी, लंड का आनन्द ले रही थी.
जिससे मुझ पर भी अब मदहोशी छाने लगी.
और अगली 10-12 मिनट की चुदाई में ही हम दोनों के बदन अकड़ने लगे.

X होटल सेक्स करके हम दोनों साथ झड़े.
उसकी आज़माईश के बाद मैंने अपना लावा उसकी चूत में ही छोड़ दिया.

हम इतना थक गये थे कि कब नींद आ गयी, पता ही नहीं चला.

और पूरी रात ऐसे ही नंगे सोने के बाद हमारी आँख सुबह 4 बजे खुली.

इससे पहले कि मुझे कोई देखता, मैं जल्दी से अपने रूम में आ गया.

सुबह नाश्ते पर हमारी नज़रें मिली पर हमने कोई बात नहीं की.

उससे अभी भी चला नहीं जा रहा था.
सब उसके पैर की मोच के बारे में पूछ रहे थे.

मैंने उसे मैसेज करके पूछा- अब पैर कैसा है?
तो उसने लिखा- पैर में तो आराम है पर पूरे बदन में मीठा सा दर्द हो रहा है.
जिसका कारण उसकी घंटों की चुदाई थी.

अगली रात भी हमारी चुदाई की रेलमपेल चलती रही.
इस बार मैंने तेल लगा कर उसकी गांड भी मारी.

और वापस आकर भी हमने यह मौज मस्ती तब तक जारी रखी जब तक वह दूसरे जॉब के लिए विदेश नहीं चली गयी.

अपनी अगली कहानी जल्द ही साँझा करूंगा दोस्तो!

आपको मेरी यह पहली X होटल सेक्स कहानी कैसी लगी?

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 1

No votes so far! Be the first to rate this post.

Leave a Comment